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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। जिसने भीषण गर्मी के कारण गेहूं के कम उत्पादन को देखते हुए और डोमेस्टिक प्राइस के बढ़ने के कारण गेहूं एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

गेहूं और गेहूं के आटे की रिटेल कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी , जो पिछले एक साल में औसतन 14-20 प्रतिशत बढ़ी है। जिसपर यूनाइटेड नेशन में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सोमवार को न्यूयॉर्क फॉरेन प्रेस सेंटर ब्रीफिंग में कहा था कि हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देश को एक्सपोर्ट को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए इनकरेज कर रहे हैं क्योंकि हमें लगता है कि एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध भोजन की कमी को बढ़ा देगा।

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वी मुरलीधरन 17 मई से 20 मई तक रहेंगे न्यूयॉर्क में

उन्‍होंने आगे कहा कि भारत सुरक्षा परिषद में हमारी बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा। साथ ही हमें अन्य देशों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं को सुनेगें। साथ ही अपने इस फैसले पर फिर से विचार करेगा। विदेश और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन 17 मई से 20 मई तक न्यूयॉर्क में रहेंगे। वह वहां UNSC ओपन डिबेट में ग्लोबल फूड सिक्योरिटी – कॉल टू एक्शन पर हाई लेवल मिनिस्टीरियल मीटिंग करेंगे और बयान देगें। साथ ही डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने पिछले हफ्ते एक अधिसूचना में कहा था कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी फूड सिक्योरिटी जरूरतों को पूरा करने के लिए दी गई अनुमति के आधार पर और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।

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विकासशील देशों पर पड़ा है प्रभाव

यूनाइटेड नेशन में भारत के परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और फूड ग्रेन एंड फर्टिलाइजर की कमी है। इसका वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों पर डिस्प्रोपोर्शनेट प्रभाव पड़ा है। साथ ही पिछले हफ्ते, यूनाइटेड नेशन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वियना में कहा था कि वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूख से चिंतित हैं। साथ ही कहा कि हम यह सब यूक्रेन में युद्ध के कारण सामना करना पड़ रहा है। उन्‍होनें आगे कहा कि गुटेरेस ने कहा था कि मुझे विश्वास है कि यूक्रेन के फूड प्रोडक्शन और रूसी संघ और बेलारूस के फूड एंड फर्टिलाइजर प्रोडक्शन को बाजार में वापस लाए बिना समस्या का कोई समाधान नहीं है।

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