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तपेदिक के समूल विनाश के लिये जनभागीदारी की जरूरत पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत वर्ष 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।श्री मोदी ने यहां रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ को संबोधित करते हुये कहा कि आज भारत में टीबी के मरीजों की संख्या कम हो रही है।

 

कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर को टीबी मुक्त अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस सफलता को प्राप्त करने वाले लोग बधाई के पात्र हैं।उन्होने कहा कि भारत अब वर्ष 2025 तक टीबी खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। टीबी खत्म करने का वैश्विक लक्ष्य 2030 है लेकिन भारत वर्ष 2025 तक टीबी खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। इसके लिये कोई भी टीबी मरीज इलाज से छूटे नहीं, इसके लिए हमने नई रणनीति पर काम किया। टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए, उनके ट्रीटमेंट के लिए, हमने उन्हें आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा है। टीबी की मुफ्त जांच के लिए हमने देशभर में लैब्स की संख्या बढ़ाई है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वो है जनभागीदारी। बगैर आम जनता के सहयोग के इस बीमारी को जड़े से साफ नहीं किया जा सकता। सरकार ने ‘टीबी मुक्त भारत’ के अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से ‘नि-क्षय मित्र’ बनने का आह्वान किया था। इस अभियान के बाद करीब-करीब 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया है।

श्री मोदी ने कहा ” एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना में झलकता है। ये प्राचीन विचार आज आधुनिक विश्व को इंटीग्रेटेड सोलूसंय दे रहा है। भारत ने जी-20 समिट की भी थीम रखी है- ‘ एक विश्व,एक परिवार,एक भविष्य। ये थीम एक परिवार के रूप में पूरे विश्व के साझा भविष्य का संकल्प है।ये प्राचीन विचार आज आधुनिक विश्व को वैश्विक दृष्टि के साथ एकीकृत समाधान दे रहा है।

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उन्होने कहा ” मुझे विश्वास है, टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ हमारे वैश्विक संकल्प को काशी एक नई ऊर्जा देगी। मेरे लिए ये बहुत खुशी के बात है कि ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ काशी में हो रही है। सौभाग्य से मैं काशी का सांसद भी हूं। काशी नगरी शाश्वत धरा है जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों और परिश्रम की साक्षी रही है। काशी इस बात की गवाही देती है कि चुनौती चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, जब सबका प्रयास होता है, तो नया रास्ता भी निकलता है। ”

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श्री मोदी ने कहा कि बीते नौ सालों में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चो पर एक साथ काम किया है। जैसे, जनभागीदारी, पोषण के लिए विशेष अभियान, इलाज के लिए नई रणनीति, तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल और अच्छी हेल्थ को बढ़ावा देने वाले फिट इंडिया, खेलो इंडिया और योग जैसे अभियान। 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया, वो वाकई अभूतपूर्व है। भारत के ये प्रयास पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है।