क्या हो अगर आप रातों-रात करोड़पति बन जायें? किसी तरह ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करने वाले के पास रातभर में 1-2 नहीं, बल्कि 25 करोड़ आ जायें।
किसी तरह ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करने वाले के पास रातभर में 1-2 नहीं, बल्कि 25 करोड़ आ जायें। गरीबी की जिंदगी गुजरने वाले अचानक से फाइव स्टार होटल में खाने में सक्षम हो जायें। अब आपको लग रहा होगी कि यह परिस्थिति दो स्थिति में ही संभव है। पहला, आप गहरी नींद में सपने सजा रहे है या फिर फिर आपकी लॉटरी लग जाए।केरल के तिरुवनंतपुरम में यह सपने वास्तविकता में बदल गयी है। तिरुवनंतपुरम के श्रीवरहम में एक ऑटो चालक ने ओणम बम्पर लॉटरी जीती है और वो भी 25 करोड़ रुपये की।
काम करने के लिए जाना चाहता था मलेशिया
ऑटो चालक अनूप ने इस साल की ओणम बम्पर लॉटरी जीती है। अनूप ने शनिवार रात भगवती एजेंसी से लकी टिकट खरीदा था। पहले वह एक होटल में शेफ के तौर पर काम कर रहा था और शेफ के तौर पर काम करने के लिए मलेशिया जाने की योजना बना रहा था। ऐसे में इस साल के ओणम बंपर ने सबसे ज्यादा 25 करोड़ रुपये की इनामी राशि की पेशकश की। केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने रविवार दोपहर परिवहन मंत्री एंटनी राजू और वट्टियूरकावु विधायक वी के प्रशांत की उपस्थिति में लकी ड्रा निकाला।
ओणम बंपर प्राइस केरल लॉटरी के इतिहास में सबसे ज्यादा कीमत
ऑटोरिक्शा चालक का काम करने वाले अनूप पूरे उत्साह में हैं। इस साल का ओणम बंपर प्राइस केरल लॉटरी के इतिहास में सबसे ज्यादा कीमत है। पहले पुरस्कार के लिए 25 करोड़ रुपये, दूसरे पुरस्कार के लिए 5 करोड़ रुपये और तीसरे पुरस्कार के रूप में 10 व्यक्तियों के लिए 1 करोड़ रुपये थे। टिकट नंबर टीजे-750605 ने प्रथम पुरस्कार जीता और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि भाग्यशाली विजेता कौन है। बाद में अनूप ने दावा किया कि वह भाग्यशाली विजेता था। हालांकि टैक्स काटने के बाद अनूप को 15 करोड़ 75 लाख रुपये मिलेंगे।
इस बार 67 लाख ओणम बंपर टिकट छपे
इस साल 67 लाख ओणम बंपर टिकट छपे और लगभग सभी टिकट बिक गए. टिकट की कीमत 500 रुपये थी। लॉटरी केरल सरकार के लिए आय के मुख्य स्रोतों में से एक है। टिकट बेचने वाले लॉटरी एजेंट थंकराज को भी कमीशन मिलेगा। बता दें कि ओणम पर्व 30 अगस्त को अथम के साथ शुरू हुआ और थिरुवोनम के साथ संपन्न हुआ। तिरुवोनम ओणम उत्सव के अंत का प्रतीक है। ओणम केरल पर शासन करने वाले राजा महाबली के शासन में सुशासन की याद में मनाया जाता है।