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मानहानि मामले में 2 साल की सजा पा चुके केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी गई है। आज दोपहर में लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर उनकी सदस्या रद्द कर दी।

 

राहुल गांधी की सदस्यता संविधान के आर्टिकल 102(1) (ई) और जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 के तहत खत्म की गई है। यह वहीं आर्टिकल है। जिसे बचाने के लिए 2013 में राहुल गांधी पूरी यूपीए सरकार से भिड़ गए थे। आईए उस 10 साल पुराने घटनाक्रम पर एक नजर डालते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार लाई थी अध्यादेश

बात साल 2013 की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अगर किसी जनप्रतिनिधि (सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य) को किसी मामले में कम से कम 2 साल की होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। उस समय केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी।

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आने वाला था चारा घोटाले का फैसला

दरअसल उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव पर पड़ सकता था, क्योंकि चारा घोटाले में फैसला आने वाला था। लालू यादव की पार्टी उस वक्त मनमोहन सरकार का हिस्सा थी। ऐसे में मनमोहन सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए। लेकिन इस अध्यादेश को लेकर राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

कॉन्फ्रेंस के बीच में पहुंचकर राहुल ने अध्यादेश को बताया था ‘नॉन सेंस’

24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार की से अजय माकन ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी जा पहुंचे। पीसी में राहुल गांधी कहा कि ‘ये अध्यादेश नॉन सेंस है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। जिसके बाद सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया। इस अध्यादेश को लेकर मेरी यह निजी राय है।

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राहुल ने उस समय कहा था कि, इस अध्यादेश को लेकर तर्क दिए जा रहे हैं और मेरी पार्टी में भी कहा जा रहा है कि, हमको आंतरिक रुप से अपनी पार्टी में ऐसा करना चाहिए। आपसी समझ से एक विचार बनाया जाना चाहिए। हमें राजनीतिक कारणों की वजह से इसे (अध्यादेश) लाने की जरूरत है। हर कोई यही करता है। कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल सभी यही करते हैं, लेकिन यह वक्त है कि ये बकवास बंद होनी चाहिए।

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राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर हम इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो हम सभी को ऐसे छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी जो कर रही है उसमें मेरी दिलचस्पी है, हमारी सरकार जो कर रही है, उसमें मेरी दिलचस्पी है और मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के संबंध में हमारी सरकार ने जो किया है वो गलत है। जिस कानून को बचाने के लिए वे अपनी ही सरकार के खिलाफ चले गए। अब उसी कानून ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को छीन लिया है।