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संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल (Delhi Ordinance Bill) पेश किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से पेश किए गए विधेयक पर सदन में चर्चा जारी है।

हालांकि सदन की कार्यवाही से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से तीन लाइन का व्हिप जारी किया गया था। इसमें पार्टी ने सोमवार को अपने सांसदों को राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।

राज्यसभा में होगी चर्चा, फिर बिल पारित

जानकारी के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी करते हुए उन्हें 7 और 8 अगस्त को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा गया। बताया गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच इस विधेयक को लेकर खींचतान जारी है। इस विधेयक को लेकर मई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली की नौकरशाही का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को दिया गया था। इसके बाद केंद्र सरकार विधेयक लेकर आई है, जो राज्यसभा में चर्चा और पारित होने के लिए पेश किया गया है।

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आप ने व्हिप में ये लिखा

आम आदमी पार्टी की ओर से जारी व्हिप में लिखा था कि राज्यसभा में ‘आप’ के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे 7 अगस्त से 8 अगस्त, 2023 तक सदन के स्थगन तक सुबह 11 बजे से सदन में बिना रुके उपस्थित रहें। पार्टी के रुख का समर्थन करें। इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है। यहां तक कि बिल पर आप का समर्थन कर रही कांग्रेस पार्टी ने भी अपने राज्यसभा सांसदों को सोमवार को उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया था।

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कांग्रेस ने भी जारी किया था व्हिप

बता दें कि पिछले हफ्ते विपक्ष ने लोकसभा में अपना विरोध कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार पर पांच घंटे की चर्चा की अनुमति मिली है। हालांकि, विपक्षी दलों के वॉकआउट के बीच 3 अगस्त को विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्यसभा में विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी बहस की शुरुआत कर सकते हैं।

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दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में खड़े हुए थे मनु सिंघवी 

अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व भी किया था। राज्यसभा में बिल के खिलाफ विपक्षी दलों को एक छत के नीचे लाने के लिए अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने इस बिल को एक विवादास्पद मुद्दा बना दिया है।