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 शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एक बार फिर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया है।

 

पात्रा चॉल रीडिवेलपमेंट के मामले में खुद ईडी के आरोपों को झेल रहे सांसद संजय राउत ने बेहद तल्ख अंदाज में केंद्र के अधीन कार्य करने वाली जांच एजेंसियों को कटघरे में खड़ा किया है।उन्होंने इस संबंध में केंद्र की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि अगर आज के ज़माने में दो घंटे के लिए सीबीआई, ईडी किसी के पास भी आती है तो वह देश का राजा बन सकता है। लेकिन यह लोकतंत्र की बात नहीं है। आज अलोकतांत्रिक तरीके से यह देश चल रहा है। सिर्फ विरोधियों को जेल में डाला जा रहा है। अगर किसी ने यह कहा है तो वह मन की भड़ास है।

 

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दरअसल सीबीआई की कार्यशैली पर इक कारण से ऊंगलियां उठ रही हैं क्योंकि बीते रविवार को केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दल मनीष की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं और इसे विपक्षी दलों को खत्म करने या खामोश करने की साजिश बता रहे हैं।

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जहां तक सवाल संजय राउत का है, तो वो स्वयं पात्रा चाल विवाद में महीनों जेल के भीतर रहने के बाद कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बाहर हैं। मुंबई की एक विशेष अदालत ने ईडी द्वारा लगाये गये मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में संजय राउत को जमानत देते हुए उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसी के एक्शन को ‘अवैध’ बताया था।

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कोर्ट ने राउत के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए उसे ‘निशाना बनाने’की कार्रवाई करार दिया। विशेष कोर्ट के जज एमजी देशपांडे ने संजय राउत को जमानत देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों में पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी का कोई कारण नहीं बनता है। पीएमएलए की धारा 19 संबंधित सरकारी अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करती है।