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नए साल 2023 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कई बड़े मिशन को अंजाम देगा। इसमें आदित्य एल1 सन (Aditya L1 Sun) और चंद्रयान-3 सहित पहला क्रू रहित गगनयान मिशन भी शामिल है। इसके अलावा इसरो की अगले साल की शुरुआत में अपने पहले रनवे लैंडिंग प्रयोग को अंजाम देने की भी कोशिश है। इसे कर्नाटक के चित्रदुर्गा के एरनॉटिकल टेस्ट रेंज पर किया जाएगा।

 

साल 2022 भी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बेहद अहम रहा। इसरो ने साल-2022 न केवल पांच महत्वपूर्ण मिशन लॉन्च किए, जिसमें एक मिशन विदेशी ग्राहक (वनवेब) को समर्पित था, बल्कि हैदराबाद स्थित स्टार्टअप द्वारा निर्मित भारत के पहले निजी तौर पर बनाए गए रॉकेट स्काईरूट एयरोस्पेस के लॉन्च में भी मदद की। इसी साल श्रीहरिकोटा में इसरो लॉन्च सेंटर परिसर में एक अन्य स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा स्थापित देश के पहले निजी लॉन्चपैड की स्थापना भी हुई।

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2023 में इसरो की क्या हैं योजनाएं?

इसरो 2023 के शुरुआती महीनों में आदित्य सूर्य मिशन शुरू करने की योजना बना रहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी के बीच लाग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर की एक कक्षा में रखा जाएगा, जो हमारे ग्रह से लगभग 15 लख किमी दूर है।

L1 बिंदु के आसपास किसी उपग्रह को रखने का फायदा ये है कि यहां से सूर्य को बिना किसी बाधा या ग्रहण के लगातार देखा जा सकता है। इसरो के इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर और फोटोस्फीयर, इससे निकलने वाले कण प्रवाह और चुंबकीय क्षेत्र की ताकत में लगातार आने वाली भिन्नता का अध्ययन करना है।

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इसरो जून 2023 में अपने तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान -3 को भी लॉन्च करने वाली है, जो भारत के भविष्य के इंटरप्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन के लिए जरूरी है। ये लैंडर-रोवर मिशन चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर निर्भर करेगा, जो पहले से ही चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। 7 सितंबर, 2019 को चंद्रमा पर चंद्रयान -2 लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब कई सुधार इसमें किए गए हैं। इसरो ने लैंडर सिस्टम में कई बदलाव किए हैं।

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चंद्रमा पर एक सफल सॉफ्ट-लैंडिंग भारत को ऐसा करने वाला चौथा देश बना देगी। साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी पोल के पास लैंड करने वाला पहला देश भी होगा।

इसके अलावा 2023 के आखिरी महीनों में इसको अपना पहला गगनयान अभियान अंजाम देगा। इसका मकसद भारत की ओर से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना है। हालांकि पहला गगनयान मिशन मानवरहित होगा। इसके बाद एक और मानव रहित गगनयान मिशन होगा। इन दोनों मिशन की सफलता के बाद 3 चालक दल वाला मिशन इसरो आयोजित करेगा।