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चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीनियर वकील कपिल सिब्बल की उन दलीलों पर गौर किया कि हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 

सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड के हरिद्वार में हाल में हुई ‘धर्म संसद’ (Dharam Sansad) के दौरान हेट स्पीच और भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीनियर वकील कपिल सिब्बल की उन दलीलों पर गौर किया कि हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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सिब्बल ने कोर्ट में कहा, ‘‘हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद में जो हुआ, उस संबंध में मैंने यह जनहित याचिका दाखिल की है। हम मुश्किल दौर में जी रहे हैं जहां देश में ‘सत्यमेव जयते’ का नारा बदल गया है।’’ इसके बाद सीजेआई रमणा ने कहा कि कोर्ट मामले पर सुनवाई करेगा।

इस कथित ‘धर्म संसद’ के दौरान कुछ लोगों द्वारा नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले की जांच के लिए उत्तराखंड पुलिस ने एसआईटी गठित की है। पिछले सप्ताह गढ़वाल के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) केएस नागन्याल ने बताया था कि मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले से जुड़े कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी होगी, तो नागन्याल ने कहा कि निश्चित तौर पर अगर जांच में पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो गिरफ्तारी होगी।

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यति नरसिम्हानंद समेत 5 लोगों के खिलाफ FIR

उन्होंने बताया था कि इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है जिनमें वसीम रिजवी, जिन्होंने पिछले महीने हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नरायण त्यागी नाम रख लिया है, साधवी अन्नपूर्णा धर्मदास, संत सिंधु सागर और धर्म संसद के आयोजक और गाजियाबाद के डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिम्हानंद शामिल हैं।

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अधिकारियों ने बताया कि FIR में धारा 153-ए (धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-295 (पूजा स्थल या किसी पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाना) भी जोड़ी गई है। हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 16-19 दिसंबर के दौरान धर्मसंसद में वक्ताओं ने कथित रूप से मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था।