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देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं के बीच देश की सबसे बड़ी अदालत ने हेट स्पीच पर सख्त रुख इख्तियार कर लिया है. देशभर में कथित धर्म संसद में मुस्लिम विरोधी भाषणों बयानों पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से हलफनामा देकर अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर देश की सर्वोच्च अदालत की ओर से तय दिशानिर्देशों के तहत कार्रवाई नहीं हुई, इसके लिए आला अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में हिमाचल में हुई धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को हलफनामा देने को कहा है।

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कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि वे बताएं कि कार्यक्रम में कुछ गलत होने से रोकने के लिए क्या कदम कदम उठाए गए हैं।  इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर भड़काऊ भाषण पर लगाम नहीं लगी तो इसके लिए उच्च अधिकारियों को माना जाएगा ज़िम्मेदार। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार हलफनामा देकर ये बताएं कि सरकार की तरफ से कोई कदम उठाया गया है या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए राज्य सरकार ने क्या कार्रवाई की है। इसके जवाब में हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि हमारी तरफ से नोटिस जारी किया गया था अब ऊना में धर्म संसद खत्म हो चुकी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हलफनामा देकर हर एक पहलू का उल्लेख करें कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

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उत्तराखंड सरकार से भी मांगा स्टेटस रिपोर्ट

इस मौके पर कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से भी स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस पर उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने समेत सभी कदम अदालत के फैसले के मुताबिक उठाए हैं। इससे नाराज होकर कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील से कहा आप इस तरह से तर्क नहीं दे सकते। आप संविधान से बंधे हुए हैं। इसके साथ ही 27 अप्रैल को एक बार फिर से उत्तराखंड के रुड़की में होने जा रहे धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चेताया। इस पर उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हमें दो मिनट पक्ष रखने का मौका दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको आगे की तारीख दी गई है। स्थिति रिपोर्ट पर विचार करेंगे।