English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-04-05 102950

बच्चों के अंदर मोबाइल के साथ समय बिताने और गेम (Mobile Games) खेलने का रुझान कुछ इस हद तक बढ़ गया है कि अपने खेल को जारी रखने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं।

 

बेंगलुरु के यलहंका रेलवे स्टेशन पर 30 मार्च को दिन के 2 बजे हेल्प लाइन नंबर 139 पर एक फोन कॉल आया जिसमें ये बताया गया कि रेलवे स्टेशन पर बम रखा है।

पुलिस तुरंत हरकत में आई

फोन कॉल के बाद पुलिस (Police) हरकत में आई और आनन-फानन में पूरे स्टेशन को खाली कराया गया। पुलिस ने चप्पा-चप्पा छान मारा लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा। इस पूरे घटनाक्रम में करीब 90 मिनट का वक्त बेकार हो गया। पुलिस ने फोन नंबर की पड़ताल की तो पाया कि पास के ही विनायक नगर के एक किराना दुकानदार के फोन नंबर से यह कॉल की गई थी।

Also read:  कोरोनाकाल में हमने 140 देशों को दवाएं दी , 40 देशों को हमने मुफ्त में दवा दी- धर्मेंद्र प्रधान

 

12 साल के बच्चे ने की थी कॉल

आपको बता दें कि दुकानदार ने अपने 12 साल के बेटे को ये फोन दिया हुआ था और ये कॉल उसके बेटे ने ही की थी। पुलिस ने जब इस बच्चे से कॉल करने की वजह पूछी तो पता चला कि वो अपने दोस्त के साथ पब जी गेम (BGMI Game) खेल रहा था और उस समय उसका दोस्त अपने परिवार के साथ यलहंका रेलवे स्टेशन पर काचेगुड़ा एक्सप्रेस ट्रेन में सवार था।

Also read:  विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के गैरसैंण वाले बयान पर गरमाई सियासत, गैरसेंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को मिला बल

गेम में सब कुछ भूला बच्चा

फोन करने वाला 12 साल का बच्चा पब जी गेम में इतना डूब चुका था कि वो जानता था कि अगर ट्रेन चल दी तो उसके दोस्त को नेटवर्क नहीं मिलेगा जबकि वो कुछ देर और खेलना (Play Game) चाहता था। ऐसे में उसने एक फोन कॉल कर ट्रेन को रोक लिया। पुलिस ने 12 साल के बच्चे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और उसे चेतावनी (Warning) देकर छोड़ दिया। बता दें कि बम स्क्वॉड ने 4.45 मिनट पर क्लियरेंस सर्टिफिकेट दिया जिसके बाद ही ट्रेन की आवाजाही शुरू हो सकी।

Also read:  मनल अल-लुहैबी को जेद्दा में शिक्षा का कार्यवाहक महानिदेशक नियुक्त किया गया

 

पैरेंट्स​ तलाश रहे नए तरीके

परेशान पैरेंट्स (Parents) अब नए तरीके ढूंढ रहे हैं ताकि बच्चों को रोका जा सके। आई टी सेक्टर (IT Sector) में काम कर रही भानु बताती हैं कि उन्हें ऐसे सॉफ्ट वेयर की तलाश है जिससे वो बच्चों के गेम को कंट्रोल कर सकें। इसका बुरा असर उनके स्वास्थ्य (Health) और पढ़ाई (Education) पर पड़ रहा है। बच्चे शारीरिक खेल-कूद से दूर होते जा रहे हैं। बच्चों को मोबाइल से दूर नहीं किया जा सकता क्योंकि कोरोना (Corona) काल में फोन उनकी पढ़ाई का भी साधन बन चुका है। लेकिन ऑनलाइन गेम एक बहुत बड़ी परेशानी बन रही है।