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विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के गैरसैंण को लेकर दिए गए बयान से एक बार फिर सियासत गरमा गई है। जिससे एक बार फिर गैरसेंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को बल मिल गया है।

ऋतु खंडूड़ी ने कहा है कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग जनता की है। सरकार ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की शुरूआत कर दी है। उन्हें पूरा विश्वास है कि हम धीरे-धीरे गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाएंगे।

सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होगा

अल्मोड़ा दौरे पर पहुंची ऋतु खंडूड़ी ने मीडिया से बातचीत के दौरान ये बात कही है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि

इस बार बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होगा। विधानसभा सचिवालय इसके लिए तैयार है। हम सुचारु रूप से इस सत्र को चलाएंगे। स्पीकर के गैरसेंण को लेकर दिए गए बयान से प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। गैरसेंण को लेकर कांग्रेस पहले से ही मुखर है। कांग्रेसी विशेषकर पूर्व सीएम हरीश रावत गैरसेंण को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है। जो कि गैरसेंण में अब तक सत्र न कराने को लेकर ​घेर चुके हैं।

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राज्य आंदोलन से लेकर अब तक गैरसेंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग

गैरसेंण के मुद्दे पर उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार विवाद छिड़ा हुआ है। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। 23 साल तक उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई थी। कांग्रेस ने गैरसेंण में सत्र कराने से लेकर विकास का रोडमैप रखा तो भाजपा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर जनता की मांग पर कदम उठाने की बात कही। लेकिन राज्य आंदोलन से लेकर अब तक गैरसेंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग उठती रही है। सत्ता पक्ष हमेशा गैरसेंण के विकास की बात करती आई है। लेकिन किसी ने भी स्थाई राजधानी की तरफ कदम नहीं उठाया।

कौशिक समिति ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में उपयुक्त बताया था

1992 में उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैंण को औपचारिक राजधानी घोषित किया था। उत्तराखंड क्रांति दल ने 14 वे महाधिवेशन में गैरसैंण को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर नाम से राज्य की राजधानी घोषित किया था। राजधानी के चयन के लिए गठित कौशिक समिति ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में उपयुक्त बताया था। राज्य की स्थायी राजधानी निर्माण के लिए गठित वीरेंद्र दीक्षित आयोग द्वारा गैरसैंण का भू सर्वेक्षण करवाया गया,किन्तु उन्होंने गैरसैंण में बहुत समस्याएं गिनाई और देहरादून को उपयुक्त राजधानी बताया और गैरसैंण को खारिज कर दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 3 नवम्बर 2012 को पहली बार गैरसैंण में कैबिनेट बैठक आयोजित करवाई। सरकार ने 2014 में गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करवाने के साथ भराड़ीसैंण विधानसभा भवन का निर्माण शुरू करवा दिया। दिसंबर 2016 में नवनिर्मित विधानसभा भवन में पहला विधान सभा सत्र आयोजित किया गया।

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8 जून 2020 को भराड़ीसैंण (गैरसैंण) ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गई

विधान सभा चुनाव 2017 में बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने का वादा किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 4 मार्च 2020 को बजट सत्र के दौरान भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को उत्तराखंड की ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित किया था। 8 जून 2020 को चमोली जिले के अंतर्गत भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को आधिकारिक रूप से उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 5 मार्च 2021 को गैरसैंण को मंडल बनाने की घोषणा कर दी।

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यह घोषणा 2021 के बजट सत्र के दौरान की गई। गैरसैंण को कनिशनरी बनाया गया। उत्तराखंड में पहले 2 मंडल थे , गढ़वाल मंडल और कुमाऊ मंडल । इस घोषणा के बाद उत्तराखंड में 3 मंडल बन गए। गढ़वाल,कुमाऊ,गैरसैंण। लेकिन त्रिवेंद्र रावत के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ और उन्हें कुर्सी से तक हाथ धोना पड़ा। त्रिवेंद्र सिंह के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत सीएम बने। तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के विवादित फैसले गैरसैंण मंडल पर 9 अप्रैल 2021 को रोक लगा दी।