English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-03-15 110935

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने समान-लिंग विवाह पर केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया और कहा कि विवाह केवल विपरीत लिंग के व्यक्तियों के बीच ही हो सकता है।

 

इस मुद्दे पर बात करते हुए आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि जीवन के हिंदू दर्शन में विवाह एक ‘संस्कार’ है और आनंद का साधन नहीं है।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, होसबोले ने कहा कि इस मसले पर सरकार कोर्ट में अपना जवाब दे चुकी है और संघ भी यही मानता है। शादी एक ऐसी प्रथा है, जो केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच ही हो सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज का व्यापक हित है न कि भौतिक सुख।

उन्होंने आगे कहा, “हिंदू जीवन में विवाह ‘संस्कार’ है, यह आनंद के लिए नहीं है, न ही यह एक अनुबंध है। एक साथ रहना अलग बात है, लेकिन जिसे विवाह कहते हैं वह हजारों वर्षों से हिंदू जीवन में एक ‘संस्कार’ है, जिसका अर्थ है कि दो व्यक्ति शादी करते हैं और न केवल अपने लिए बल्कि परिवार और सामाजिक भलाई के लिए एक साथ रहते हैं। विवाह न तो यौन सुख के लिए है और न ही अनुबंध के लिए।”

Also read:  रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों के खिलाफ RPF ने की बड़ी कार्रवाई, 1800 से ज्यादा गिरफ्तार

आरएसएस महासचिव ने आगे कहा कि दहेज जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए और पुरुष और महिला के बीच शादी होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि संघ ने ‘हिंदू राष्ट्र’ के बारे में कहा है कि यह एक सांस्कृतिक अवधारणा है। हम कहते रहे हैं कि ‘हिंदू राष्ट्र’ का यही अर्थ है और भारत एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है। राज्य और राष्ट्र अलग हैं…इसलिए भारत-राष्ट्र-एक हिंदू राष्ट्र है।

Also read:  अमित शाह ने कई लंबी योजना और केंद्र सरकार के काम गिनाये, कहा- हेमंत जी हमारे पास तो गिनाने के लिए अनगिनत काम हैं