उत्तर प्रदेश में अब निकाय चुनाव को लेकर माहौल गरमाने लगा है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद बुधवार को हुई कैबिनेट में ओबसी रिजर्वेशन को लेकर अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी।
अब इसके बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यूपी में Nikay Chunav का ऐलान कभी भी हो सकता है। हालांकि सरकार में बैठे सूत्रों की माने तो अप्रैल के दूसरे सप्ताह के अंत तक नगर निगम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा होने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने को हरी झंडी दे दी।
दस अप्रैल तक पूरा होना है आरक्षण का दावा
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद, राज्य सरकार ने ओबीसी के लिए आरक्षित होने वाली नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के अध्यक्ष की सीटों की पहचान करने की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है। राज्य सरकार द्वारा तैयार कार्यक्रम के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण पर दावा आपत्ति की प्रक्रिया 10 अप्रैल तक पूरी की जानी है। बाद में इसे अधिसूचना के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दिया जाएगा। शहरी विकास विभाग ने 5 दिसंबर, 2022 को शहरी स्थानीय निकायों के लिए ओबीसी के लिए सीटों के अंतरिम आरक्षण को अधिसूचित किया था।
सरकार के नोटिफिकेशन को दी गई थी चुनौती
फाइनल नोटिफिकेशन जारी होने से पहले इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। ओबीसी के लिए सीटों के आरक्षण के बिना चुनाव कराने के उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, राज्य सरकार ने ओबीसी के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया। आयोग के संदर्भ की शर्तें ओबीसी के लिए आरक्षित होने वाली सीटों की पहचान करना था। सरकार द्वारा आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने से पता चलता है कि ओबीसी के लिए सीटों के आरक्षण की पूर्व की अधिसूचना में बड़े बदलाव होंगे।
सरकार के लिए अभी बहुत काम बाकी
शहरी विकास विभाग के सूत्रों ने कहा कि यूपी नगर निगम, नगर पालिका (सीटों का आरक्षण) नियम, 1994 में भी ओबीसी के लिए समर्पित आयोग की सिफारिश को शामिल करने के लिए संशोधन करना होगा। ओबीसी के लिए आरक्षण की अधिसूचना को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिसने अपने फैसले में ओबीसी आरक्षण के बिना तुरंत चुनाव कराने का निर्देश दिया था।
सरकार ने किया था ओबीसी आयोग का गठन
राज्य सरकार ने समर्पित ओबीसी आयोग का गठन किया और उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने 27 मार्च को आयोग को ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने और 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने आयोग की रिपोर्ट को भी स्वीकार कर लिया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 75 जिलों का दौरा किया और 9 मार्च को सरकार को रिपोर्ट सौंपी। आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार ने 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कीं।