English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-01-14 094536

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी डिबेट के दौरान हेट स्पीच देने वाले एंकरों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि ऐसे कितने एंकरों पर कार्रवाई की गई है, जिन्होंने डिबेट के दौरान हेट स्पीच दी।

 

जस्टिस केएम जोसेफ ने पूछा कि ‘आपने कितनी बार किसी एंकर को ऑफ एयर किया है? जिस तरह से आप मैसेज देते हैं, क्या आपने एंकरों से उसी तरह डील की है?’ टीवी डिबेट में हेट स्पीच मामलों से संबंधित कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिसपर जस्टिस जोसेफ की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई कर रही है।

नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) की तरफ से कोर्ट में पेश वकील निशा भम्बानी ने कहा कि जब भी अथॉरिटी को शिकायत मिली है, क्वीक और इफेक्टिव कार्रवाई की गई है। केंद्र की तरफ से पेश हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने बताया कि यहां पर्याप्त चेक एंड बैलेंस हैं। जस्टिस जोसेफ ने जवाब दिया कि “चेक एंड बैलेंस, निश्चित रूप से इस तरह से सलाह नहीं दी जा रही है जो परिणाम पैदा करे।”

Also read:  र्नाटक चुनाव में कांग्रेस की सफलता के पीछे काम करने वाले चुनावी रणनीतिकार सुनील कानुगोलू को कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ सीएम सिद्दरमैया के मुख्य सलाहकार के रूप में नियुक्त

आप लोगों को अपने विचार नहीं रखने देते, म्यूट करते हैं

उन्होंने कहा कि एंकर कभी-कभी लोगों को अपने विचार व्यक्त करने से रोकते हैं। इनमें से कई टीवी कार्यक्रम, आप लोगों को समान आधार पर बात करने की अनुमति नहीं देते हैं। पार्टिसिपेंट्स को आप अपने विचार व्यक्त नहीं करने देना चाहते हैं, आप या तो उन्हें म्यूट कर देते हैं, या आप डिबेट को कहीं और शिफ्ट कर देते हैं। जस्टिस जोसेफ ने कहा, “तो बात यह है कि “यह ब्रॉडकास्टर्स या पेनलिस्ट के विचारों का अधिकार नहीं है, बल्कि यह उसका अधिकार है जो उसे देख रहा है।”

Also read:  उत्तराखंड सरकार अग्निवीरों को पुलिस भर्ती में देगी प्राथमिकता- पुष्कर धामी

आप समाज को बांट रहे हैं- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि वह आदि शंकराचार्य के कहे अनुसार चैनलों के आचरण को ‘उदारनिमिथम, बहुकृत वेशम’ के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे, जिसका मतलब है कि कई चीजें पेट के लिए की जाती है। एनबीएसए को रडार पर लेते हुए उन्होंने कहा कि जो कुछ भी किया जाता है वो टीआरपी के लिए किया जाता है। यह एक फंडामेंटल प्रॉब्लम है। टीवी चैनल एक दूसरे के साथ कंपटीशन में लगे हैं। सच तो ये है कि आप इसपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। इससे विशेष चीजें सेंसेशनलाइज होती हैं। यह आपको समझना चाहिए कि कोई अगर अखबार पढ़ रहा है, टीवी देख रहा है, जिसका दिमाग पर सीधा पर सीधा असर पड़ता है, उससे जाहिर तौर पर लोगों के खासतौर पर युवाओं के मन में गलत धारणाएं पैदा होती हैं। आप समाज का बंटवारा कर रहे हैं और आप किसी और माध्यम के मुकाबले बहुत जल्दी अपने विचार बना लेते हैं।”

Also read:  दिल्ली में आ सकते हैं आंदोलनकारी किसान, सभी सीमाओं पर सघन चेकिंग, बढ़ाई गई सुरक्षा