English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-07-12 111605

पड़ोसी देश श्रीलंका की हालत पिछले कुछ महीनों से बेहद खराब है। आर्थिक मोर्चे (Sri Lanka Economic Crisis) पर दिक्कतों से शुरू हुआ संकट अब राजनीतिक अस्थिरता (Sri Lanka Political Crisis) के हालात पैदा कर चुका है।

 

जनता की बगावत के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) इस्तीफा देने वाले हैं, जबकि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। हजारों लोगों की भीड़ ने पिछले कई दिनों से राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा जमा रखा है, सड़कों पर सेना तैनात है और पीएम-राष्ट्रपति समेत तमाम बड़े नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं। इस बीच श्रीलंका में खाने-पीने की जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं।

Also read:  आप हमें जो चाहें बुलाएं, मिस्टर मोदी, हम भारत हैं, हम मणिपुर को ठीक करने में मदद करेंगे और हर महिला और बच्चे के आंसू पोंछेंगे- राहुल गांधी

 

बद से बदतर होते जा रहे हैं हालात

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के Fose Market के ताजा आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका में अभी टमाटर के भाव 150 रुपये किलो श्रीलंकाई रुपये पर पहुंच गए हैं। इसी तरह मूली के भाव 490 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि प्याज 200 रुपये किलो और आलू 220 रुपये किलो में बिक रहा है। आलू, प्याज और टमाटर जैसी आम इस्तेमाल की सब्जियों के दाम बढ़ने से श्रीलंका के लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। सब्जियों के दाम में ऐसे समय आग लगी है, जब पहले से ही श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल की कमी हो चुकी है और लोगों को बेतहाशा पावर कट का सामना करना पड़ रहा है।

Also read:  Global Investors Summit 2023: इंदौर में दो महीने में अपोलो का नया हॉस्पिटल होगा शुरू

ऐसे धीरे-धीरे बढ़ता गया श्रीलंका संकट

इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई। कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार (Sri Lanka Forex Reserve Crisis) समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया। स्थिति ऐसी हो गई कि श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल और खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई। बेहद जरूरी दवाएं तक पड़ोसी देश में समाप्त हो गईं. सरकार को पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात करने की जरूरत पड़ गई। हालांकि इससे भी स्थिति में सुधार नहीं आया और हालात लगातार बिगड़ते चले गए। बताया जा रहा है कि आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है। कोरोना महामारी के कारण पर्यटन के प्रभावित होने और ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर सरकार के अदूरदर्शी फैसलों ने संकट को विकराल बनाने में योगदान दिया।

Also read:  वायु सेना और तटरक्षक बल की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही - नौसेना के 70 जहाजों, छह पनडुब्बियों और 75 से अधिक विमानों ने भाग लिया