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ए राजा ने केंद्र सरकार द्वारा की गई 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया पर कई गंभीर सवाल उठाये हैं राजा ने 5जी नीलामी प्रक्रिया में बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए जांच की मांग की है 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए जो बेस प्राइस तय किया था, उससे बहुत कम दाम में बोली लगी है

 

2जी स्पेक्ट्रम विवाद में जेल जाने वाले पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा ने मौजूद केंद्र सरकार द्वारा की गई 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया पर कई गंभीर सवाल उठाये हैं। डीएमके नेता राजा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए जो बेस प्राइस तय किया था, उससे बहुत कम दाम में बोली लगी है। आखिर किस तरह से 5जी स्पेक्ट्रम को 1.5 लाख करोड़ रुपये में नीलाम किया गया। उन्होंने इस मामले में बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए नीलामी प्रक्रिया के जांच की मांग की है।

राजा ने यूपीए कार्यकाल में हुए 2जी नीलामी का हवाला देते हुए कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के खिलाफ तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने साल 2010 में पेश रिपोर्ट में कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान होने का है। जबकि उस समय स्पेक्ट्रम की नीलामी में कई प्रतियोगी कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

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उन्होंने कहा, ‘दूरसंचार मंत्री रहते हुए मैंने अपने कार्यकाल में ट्राई की सिफारिशों के आधार पर 2जी आवंटन के लिए 30 मेगाहर्ट्ज़ का कोटेशन दिया। तब तत्कालीन सीएजी ने कहा था कि उससे 1,76,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लेकिन अब साल 2022 में केंद्र सरकार ने 5जी स्पेक्ट्रम के 51 गीगाहर्ट्ज़ को 1.5 लाख करोड़ रुपये से कम में आखिर किस कारण नीलाम किया है।’

राजा ने 5जी स्पेक्ट्रम में घोटाले की बात को सिद्ध करने के लिए कहा, ‘जब आप 2जी स्पीड से इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं तो आपको 10 सेकंड का वक्त लगता है, जबकि 4जी में यह स्पीड बढ़कर 5 सेकंड हो जाती है और जब आप 5जी स्पीड के साथ सर्च करते हैं तो आपको रिजस्ट सेकंडों में मिल जाता है। स्पीड के आधार पर अगर हम स्पेक्ट्रम की नीलामी की तुलना करते हैं तो 5जी की बोली कम से कम 5 या 6 लाख करोड़ रुपये में लगनी चाहिए थी। इसका सीधा मतलब है कि केंद्र सरकार ने कुछ कंपनियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है। इसलिए 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की जांच होनी चाहिए।’

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इसके साथ ही ए राजा ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में दी गई सीएजी विनोद राय की रिपोर्ट की जांच की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘विनोद राय एक अकेले आदमी थे, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी को कटघरे में खड़ा किया था और कानूनी सिस्टम की मदद से सरकार बदलने की बड़ी चाल चली थी। वह उस मामले में सबसे बड़े दोषी थे। जिसका जिक्र मैंने अपनी किताब में भी किया है। मेरे आरोपो पर विनोद राय की ओर से आज तक कोई जवाब नहीं आया है।”

मालूम हो कि साल 2010 में तत्कालीन सीएजी विनोद राय ने 2जी घोटाले से संबंधित एक रिपोर्ट संसद में पेश की थी, जिसके कारण विपक्षी दलों ने संसद से लेकर सड़क तक भारी हंगामा खड़ा किया था और इस कारण तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा, डीएमके सांसद कनिमोझी सहित दूरसंचार मंत्रालय से संबंधित कई वरिष्ठ अधिकारियों को जेल जाना पड़ा था।

हालांकि लंबी चली कानूनी लड़ाई में अदालत ने साल 2017 में ए राजा और कनिमोझी को बरी कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके। 2जी स्पेक्ट्रम विवाद के कारण तत्कालीन यूपीए सरकार आगामी लोकसभा चुनाव हार गई थी। कांग्रेस ने इस मामले में ए राजा और कनिमोझी के बरी होने के बाद पूर्व सीएजी विनोद राय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

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ए राजा ने कांग्रेस की मांग का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा, ‘कोर्ट ने हमें बरी कियास क्योंकि कोई घोटाला हुआ ही नहीं था, ये सिर्फ और सिर्फ पूर्व सीएजी विनोद राय की धोखाधड़ी थी। उन्होंने किसके इशारे पर यूपीए सरकार के खिलाफ ऐसी साजिश रची, आखिर कौन था विनोद राय के पीछे। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। मौजूद केंद्र सरकार विनोद राय प्रकरण सहित अगर 5जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच नहीं कराती है तो यह सरकार अगले चुनाव में हार जाएगी। 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी एक बहुत बड़ा घोटाला है।’

केंद्र सरकार के दूरसंचार मंत्रालय ने हाल में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की, जिसकी बोली 1.5 लाख करोड़ रुपये लगी। इस स्पेक्ट्रम नीलामी में मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने 88,078 करोड़ रुपये की बोली लगाकर बेचे गए लगभग आधे स्पेक्ट्रम पर कब्जा कर लिया है।