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 जब दुनियाभर के देशों में भारत का डंका बजाने वाले प्रवासी भारतीयों की महफिल इंदौर में सजी हो, जब दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष उस महफिल में विराजित हों, जब केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की एक पूरी कतार खड़ी हो, जब पूरा देश टीवी पर दत्तचित्त होकर इस सभा के एक-एक शब्द को गौर से सुन रहा हो…तब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश की खुलकर प्रशंसा करने के मायने बहुत गहरे हैं।

प्रधानमंत्री ने इंदौर की धरती पर बोलते हुए देश के दिल अर्थात मध्य प्रदेश के प्रति जिस तरह अपना प्रेम और सम्मान जताया, वह भूतो न भविष्यति है। निकट भूतकाल में देश के किसी अन्य राज्य के प्रति मोदी ने दिल खोलकर ऐसा अपनापन व्यक्त किया हो, ऐसा सुनाई-दिखाई नहीं पड़ता। इस बात का विश्लेषण तो राजनीति के जानकार, भाषाविद् और बाडी लैंग्वेज के विशेषज्ञ करेंगे कि मोदी द्वारा मध्य प्रदेश की मनहर प्रशंसा करने के क्या मायने हैं, किंतु नईदुनिया का विश्लेषण बताता है कि देश के मुखिया द्वारा मप्र को लेकर कहे गए एक-एक शब्द के हजार-हजार मायने हैं।

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जब प्रधानमंत्री ने इंदौर शहर को लेकर यह कहा कि – यह इंदौर नहीं बल्कि नया दौर है, तब दरअसल वे संकेत कर रहे थे कि यह वह शहर है, जो सही अर्थों में आज के भारत का सच्चा प्रतिनिधि है। इंदौर तेजतर्रार है और आज का भारत भी। इंदौर भविष्य के सपने बुन रहा है और आज का भारत भी। इंदौर अपने सपनों को सच करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है और भारत भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिश्रम से पीछे नहीं हटता। इंदौर स्वच्छता के प्रति आग्रही है और भारत के अन्य शहर भी अब इंदौर से स्वच्छता का ककहरा सीख रहे हैं।

इंदौर अपने गौरवशाली अतीत, भारत की महान संस्कृति और लोक-जीवन के संस्कारों को कभी भूलता नहीं, इसी तरह भारत भी इन महान मूल्यों का प्रबल पक्षधर है तथा मोदी के नेतृत्व में इन मूल्यों का परिपालन कर रहा है।

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इंदौर व मध्य प्रदेश की प्रशंसा में कहे गए शब्दों में बिटविन द लाइंस बहुत कुछ छुपा हुआ है। मध्य प्रदेश को अपने ह्दय के करीब बताते हुए जब मुखिया मोदी बोल रहे थे तब उनके शब्दों का यही निहितार्थ था कि मध्य प्रदेश वह राज्य है, जिसके पास श्री महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर जैसे अध्यात्म व धर्म के दो अद्भुत प्रतिमान हैं, जिसके पास इतनी प्रचुर वन संपदा है कि जितनी यूरोप के कई देशों को मिलाकर भी नहीं है। इस हदय प्रदेश के पास मां नर्मदा का ऐसा वरदान है, जिससे यह अभिसिंचित होता रहता है और देश के अन्न के कटोरे को अपनी माटी में उपजे गेहूं, चावल, मक्का, दाल जैसे अनाजों से भरता रहता है। मध्य प्रदेश में उगे पुष्पों से भारत के हजारों मंदिरों में भगवान के विग्रहों की पूजा-आराधना की जाती है। यह मध्य प्रदेश ही है, जिस बाघों की गौरवभूमि होने का सम्मान प्राप्त है, और अब तो यह राज्य चीतों की चैतन्य-भूमि होने का दर्प भी रखता है।

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प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में यह भी संकेत था कि मध्य प्रदेश की यह धरा उन महान आदिगुरु शंकराचार्य की साधना-स्थली है, जिन्होंने भारत में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की और चार धाम, चार मठ स्थापित करके धर्म-ध्वजा को भारतवर्ष के मस्तक पर पुन: लहर-लहर लहरा दिया। महामना मोदी ने ही कुछ माह पहले श्री महाकाल महालोक जैसे पुण्यश्लोक का लोकार्पण कर उज्जैन की धरती को एक नई पहचान दी थी। उन्होंने इसका भी उल्लेख करते हुए जो कहा, उसका यही भावार्थ निकला कि यह भारत के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक उत्थान का नया अध्याय है।

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दरअसल, मोदी अपने पूरे भाषण में मध्य प्रदेश से मोहित दिखे, इस राज्य की विशेषताओं से सम्मोहित दिखे। वे बोलते गए और देश-दुनिया के करोड़ों लोग मन को साधकर उन्हें सुनते रहे। यही मध्य प्रदेश की महानता है, यही उज्जैन का उत्कर्ष है, यहीं इंदौर का नया दौर है। जैसा कि हमने शुरुआत में लिखा था कि- यूं ही कोई राज्य मोदी का प्रिय मध्य प्रदेश नहीं हो जाता, तो महामना मोदी के भाषण में बिटविन द लाइंस छुपे हुए अर्थों का उपरोक्त विश्लेषण साबित करता है कि यूं ही मध्य प्रदेश को देश का दिल नहीं कहा जाता। यह इस राज्य की केवल भौगोलिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक व लौकिक पहचान का नव-आख्यान है।