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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों ने सियासी गलियों में हलचल मचा दी है। वो भी ऐसे वक्त में जब दिल्ली में किशोर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ बैठक कर रहे हैं। माना जा रहा है कि बैठक के बाद प्रशांत किशोर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

 

प्रशांत किशोर ने हाल ही में 2024 के आम चुनाव सहित बड़े चुनावों से पहले कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में भूमिका के लिए गांधी परिवार के साथ बातचीत फिर से शुरू की। कई दौर की बातचीत के बाद दोनों पक्ष पहले भी अलग हो गए थे। पीके के करीबी सूत्रों ने इस बात का खंडन किया है कि बैठक गुजरात चुनाव पर केंद्रित है।

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किशोर का कांग्रेस में शामिल होना ‘संभावना मात्र’

सूत्रों का कहना है कि पीके का सलाहकार की भूमिका निभाने के बजाय कांग्रेस में शामिल होना अभी भी एक संभावना मात्र है। हालाकि, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली में जारी इस बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, दिग्विजय सिंह और अजय माकन जैसे नेता शामिल है।

राहुल-प्रियंका से किशोर की मुलाकात

हाल ही में राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद अटकलें शुरू हो गई थी कि प्रशांत किशोर गुजरात चुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। कांग्रेस के दो शीर्ष नेताओं के साथ इस मुलाकात के बाद यह सवाल उठना लाजमी है।

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TMC की जीत के बाद किशोर और गांधी परिवार के बीच अनबन

ममता बनर्जी की बंगाल जीत के कुछ हफ्तों बाद, प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच बातचीत पिछले साल टूट गई। बाद में कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियानों को संभालने के लिए किशोर के एक पूर्व सहयोगी के साथ करार किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियानों को संभालने के लिए प्रशांत किशोर के एक पूर्व सहयोगी सुनील कानुगोलू के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जबकि प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार करने लगे।

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कानुगोलू ने पिछले महीने पार्टी के साथ काम करना शुरू किया, तो किशोर की कांग्रेस के साथ काम करने की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही थीं। दोनों ने 2014 में सिटिजन्स फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) संगठन के हिस्से के रूप में नरेंद्र मोदी के अभियान पर एक साथ काम किया था। किशोर उसके बाद अपने रास्‍ते पर चले गए, जबकि कानुगोलू बीजेपी के साथ काम करते रहे, जहां 2017 में BJP ने उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत हासिल की थी।