धारवाड़ जिले के नुग्गीकेरी गांव में फल बेचने वाले मुस्लिम दुकानदार से की गई अभद्रता हनुमंथा मंदिर के बाहर फल विक्रेता आशनबीसाब किल्लेदार धार्मिक कट्टरवाद के शिकार हुए कथित तौर पर श्री राम सेना के लोगों ने उनकी फल गाड़ी को पलट कर सामान बर्बाद कर दिया
कर्नाटक में हिंदू-मुस्लिम तनाव की खाई हर दिन बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के द्वारा सख्त कानून-व्यवस्था को लेकर दिये जा रहे आश्वासन के बावजूद अल्पसंख्यकों की प्रताणना का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
बुरका विवाद, मंदिरों के मेले में मुस्लिम दुकानदारों पर लगे प्रतिबंध, हलाल मीट और मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर द्वारा अजान के विवाद से लेकर कई अन्य विषयों को लेकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा हुए असंतोष के कारण हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं।
ताजा मामला धारवाड़ जिले का है, जहां के नुग्गीकेरी गांव में हनुमंथा मंदिर के बाहर फल बेचने वाले एक मुस्लिम फल विक्रेता के साथ अभद्रता और उसके फल की गाड़ी में कुछ लोगों के द्वारा तोड़फोड़ की शिकायत सामने आयी है। जानकारी के मुताबिक मुस्लिम फल विक्रेता आशनबीसाब किल्लेदार बीते बीस वर्षों से हनुमंथा मंदिर के बाहर फल बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे, इस घटना से पहले कभी भी उन्हें इस तरह से धार्मिक कट्टरवाद का शिकार नहीं होना पड़ा था।
आशनबीसाब ने बताया कि 9 अप्रैल को कथित तौर पर उनके पास श्री राम सेना के लगभग 10 की संख्या में कार्यकर्ता उनके पास पहुंचे और उनके द्वारा मंदिर के सामने फल की गाड़ी लगाये जाने पर हंगामा करने लगे और थोड़ी ही देर में उग्र कार्यकर्ताओं ने तरबूज से भरी उनकी गाड़ी को पटल दिया और सड़क पर गिरे सारे तरबूज को बर्बाद कर किया।
आशनबीसाब ने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा हैरानी उस बात पर हुई, कि उनके साथ हुई इस अभद्रता के गवाह खुद पुलिस वाले थे, जो पूरे घटनाक्रम को देखते रहे। लेकिन उन्होंने न तो इस बात पर आपत्ति जताई और न ही आक्रामक लोगों को रोकने का प्रयास किया।
आशनबीसाब इस घटना से आहत हैं लेकिन वो कहते हैं कि अगर उन्हें आगे इसकी बात की इजाजत मिलती है कि वो हनुमंथा मंदिर के बाहर अपने फलों को बेच सकें तो वो निश्चिततौर पर बेचना चाहेंगे क्योंकि वो वहां बीते 2 दशकों से फल बेचने का काम कर रहे हैं और मंदिर में आने वाले भक्तों को फल बेचकर उन्हें काफी सुकून मिलता है।
उन्होंने कहा, ‘करीब सौ साल से हम एक साथ रह रहे हैं। हिंदू-मुसलमान कम से कम चार-पांच पीढ़ियां साथ में रहती चली आयी हैं। उपद्रव करने वाले लोग हमारे गांव के नहीं थे, वो बाहर से थे। यहां रहने वाले सारे हिंदू मेरे दोस्त हैं।’
आशनबीसाब कहते हैं कि वो पक्के मुसलमान है लेकिन उनके मजहब ने कभी उन्हें हनुमान चालीसा सीखने से या कवि और संत बसवन्ना के प्रवचनों को जानने से नहीं रोका है। हम सभी धारवाड़ के मुसलमान बसवन्ना के विचारों से प्रभानित हैं और उनके उपदेशों को भी अपने जीवन में समाहित किये हुए हैं।
मालूम हो कि कर्नाटक के उडुपी में हिंदू मंदिरों द्वारा आयोजित मेले में मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार और प्रतिबंध के कारण सूबे के कई अलग-अलग इलाकों में कई छोटे-मोटे मुस्लिम मुस्लिम दुकानकारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। कुछ हिंदू संगठन बीते एक महीने से मुस्लिम दुकानदारों को प्रत्बंधित करने की मांग कर रहे हैं।
वहीं राज्य की बसवराज बोम्मई सरकार एक तरफ तो कहती है कि वो कानून-व्यवस्था को खराब करने वाले तत्वों से सख्ती से निपटेगी वहीं दूसरी ओर सरकार ने कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 2002 कानून का दुरुपयोग करते हुए हिंदू संगठनों द्वारा मुस्लिम दुकानदारों को प्रतिबंधित किये जाने वाले अभियान का समर्थन भी कर रही है।