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मेघालय में एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस न मिलने पर बांस के स्ट्रेचर पर 5 किलोमीटर ले जाने का बेबसी भरा केस सामने आया है। मामला मेघायल के री-भोई जिले का है।  यहां 36 सप्ताह की एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस नहीं मिल सकी और जुगाड़ से बनाए गए स्ट्रेचर से उन्हें 5 किलोमीटर दूर ले जाना पड़ा।

महिला की डिलीवरी सोमवार को हुई है. जब उसे स्ट्रेचर पर रखकर अस्पताल ले जाया जा रहा था तो वह हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने के साथ-साथ लेबर पेन भी झेल रही थी. हालांकि, ग्रामीणों ने उसे समय रहते स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचा दिया। पाथरखमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर सी लिंगदोह ने एजेंसी को बताया कि जालीलम गांव के स्वयंसेवकों ने मरीज को करीब पांच किलोमीटर तक ले जाने के लिए बारी-बारी से काम किया. क्योंकि वहां कोई वाहन या एंबुलेंस नहीं थी।

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डॉ. लिंगदोह ने कहा कि उसने सीएचसी में चार किलो से ज्यादा वजन वाली एक बच्ची को जन्म दिया है. दोनों स्वस्थ्य हैं। बता दें कि महिला को अस्थायी स्ट्रेचर पर ले जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसके बाद लोग प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं।
गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि जलीलम और स्वास्थ्य केंद्र के बीच की सड़क कई वर्षों से खराब है।

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ऐसा एक मामला 28 जुलाई को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के कप्तानगंज में सामने आया था। यहां एंबुलेंस के इंतजार में एक महिला ने ठेले पर ही बच्चे को जन्म दे दिया था। रमवापुर गांव के राम सागर के यहां उनकी साली 28 वर्षीय सीमा कुछ दिन पहले इस उम्मीद से आई थी कि यहां से कप्तानगंज अस्पताल नजदीक है।  इससे उसे खुद और आने वाले बच्चे का सही इलाज हो पाएगा। हालांकि, उसकी उम्मीदों को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बड़ा झटका लगा और समय पर एंबुलेंस न आने के कारण उसने ठेले पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।

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