English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-03-11 182344

राजेश त्रिपाठी ने हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर से विधायकी छिनी है। राजेश त्रिपाठी ने विनय शंकर को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है।

उत्तर प्रदेश की चिल्लूपार विधानसभा सीट पर बाहुबलि हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी की हार हुई है। उन्हें श्मशान बाबा के नाम से मशहूर बीजेपी के राजेश त्रिपाठी ने शिकस्त दी है। राजेश त्रिपाठी वही नेता हैं जिन्होंने 2007 और 2012 के चुनाव में हरिशंकर तिवारी को मात दी थी। लगातार दो चुनाव हारने के बाद हरिशंकर तिवारी ने राजनीति ने संन्यास ले लिया। अगर कहा जाए कि राजेश त्रिपाठी ने हरिशंकर तिवारी के पॉलिटिकल करियर को खत्म कर दिया तो गलत नहीं होगा।

Also read:  प्रेमी नहीं आया प्रेमिका से मिलने तो खाया जहर दो की मौत, 1 गंभीर

अब 10 साल बाद राजेश त्रिपाठी ने हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर से विधायकी छिनी है। राजेश त्रिपाठी ने विनय शंकर को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। राजेश त्रिपाठी को 96777 वोट मिले तो वहीं विनय शंकर को 75132 वोट हासिल हुए। विनय शंकर इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ रहे थे। वह चुनावों से पहले ही सपा का दामन थामे थे। इससे पहले वह बसपा में थे।

2007 में बसपा के टिकट पर जीते थे राजेश त्रिपाठी

पूर्व पत्रकार और श्मशान बाबा के नाम से मशहूर राजेश त्रिपाठी 2007 के चुनाव में हरिशंकर तिवारी को हराकर सु्र्खियों में आए थे। बसपा के टिकट पर लड़ते हुए उन्होंने 6933 वोटों से जीत हासिल की थी।

Also read:  भारत के सुपर पावर और विकसित होने की बात कर रहा - राजनाथ सिंह

इसके बाद 2012 में वह फिर चुनाव में उतरे। यहां फिर से बाजी उन्होंने मारी। हरिशंकर तिवारी तीसरे स्थान पर पहुंच गए। इसके बाद हरिशंकर ने तय किया कि अब चुनाव में नहीं उतरेंगे। इस चुनाव में राजेश त्रिपाठी बसपा से ही मैदान में उतरे थे। दो लगातार हार के बाद हरिशंकर तिवारी ने चुनाव लड़ना बंद कर दिया।  2017 में हरिशंकर के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर चुनाव में उतरे। राजेश त्रिपाठी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। पांच साल बाद उन्होंने इस हार का बदला लिया है।

Also read:  दिल्ली सरकार का बजट 21 मार्च को नहीं होगा पेश, इतिहास में ऐसा पहली दफा

1985 से है ब्राह्मणों का कब्जा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की चिल्लूपार सीट पर साल 1985 यानी 37 साल से ब्राह्मणों का कब्जा है। यहां से हरिशंकर तिवारी साल 1985 से 2007 (22 वर्षों) तक विधायक रहे। यह वो दौर था, जिसमें हरिशंकर जिस भी पार्टी से मैदान में उतरते, उसी से जीतकर विधानसभा पहुंच जाते थे।