English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-09-22 152127

राजस्थान में सरकारी स्कूलों को हिंदी से अंग्रेजी मीडियम (Hindi to English medium) करने के विरोध की खबरें लगातार आने बाद शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया है।

 

राजस्थान के शिक्षा विभाग (Education Department) ने स्थानीय भारी जनविरोध के चलते प्रदेश के 14 सरकारी स्कूल जिन्हें पूर्व में हिंदी से अंग्रेजी मीडियम में बदला गया था उनके आदेश निरस्त कर दिए हैं। इस आदेश में सबसे ज्यादा सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर के 11 स्कूलों को हिंदी से अंग्रेजी करने के आदेश निरस्त किए गए हैं। शिक्षा विभाग जहां-जहां इनका विरोध हो रहा है वहां-वहां इन्हें निरस्त कर रही है। अभी इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है।

Also read:   इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद ताज महल के 22 कमरों को खुलवाने वाली याचिका को खारिज कर दिया

शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने हाल ही में एक आदेश जारी करके जोधपुर जिले के 11, जयपुर जिले के 1, अजमेर जिले के केकड़ी का 1 और बीकानेर जिले के 1 स्कूल को हिंदी से अंग्रेजी मीडियम करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। यहां स्कूलों को हिन्दी से अंग्रेजी मीडियम किए जाने का स्थानीय जनता लगातार विरोध कर ही थी। भारी विरोध को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है।

शिक्षा मंत्री बोले जहां जनता को स्वीकार नहीं वहां कर रहे हैं बदलाव

विरोध के कारण शिक्षा विभाग स्थानीय विधायकों से राय मशविरा करने के बाद मीडियम बदलने के आदेश निरस्त कर रही है। हाल ही में गहलोत सरकार ने राजस्थान में 2 हजार की आबादी वाले गांवों और कस्बों के स्कूलों को हिंदी से अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित करने का फैसला लिया था। इस फैसले का कई इलाकों में स्वागत हुआ तो कई इलाकों में भारी जनविरोध देखने को मिला। इस बारे में शिक्षा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला का कहना है कि हमने जनभावनाओं को देखते हुये अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले थे। लेकिन जनता को ये स्वीकार नहीं है वहां हम उनकी मंशा के अनुरुप बदलाव कर रहे हैं।

Also read:  मोरबी पुल हादसे ने गुजरात में बीजेपी के 27 साल के ''कुशासन'' को उजागर कर दिया - अशोक गहलोत

स्कूल तो खोल दिए लेकिन टीचर्स का बना हुआ है टोटा

उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार ने अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों को टक्कर देने और आमजन की पहुंच में लाने के लिए प्रदेश में सरकारी अंग्रेजी स्कूलें खोलने का ऐलान किया था। सरकार ने ऐलान के बाद सैंकड़ों अंग्रेजी स्कूल खोल तो दिए लेकिन वहां पढ़ाने के लिए टीचर्स का टोटा बना हुआ है। पहले इन अंग्रेजी स्कूलों के प्रति आमजन में काफी क्रेज देखने को मिला लेकिन बाद में व्यवस्थाएं देखकर अभिभावकों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई।

Also read:  कौन होगा इंडिया टेस्ट टीम का कप्तान, लिस्ट में हैं ये खिलाड़ी