देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष चुनाव में फिर एक नया मोड़ आया है। अब सूत्रों से जानकारी मिली है कि पार्टीअध्यक्ष के चुनावों में दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।
पार्टी के अंदरखाने में यह चर्चा हो रही है. हालांकि दिग्विजय सिंह और शशि थरूर पहले ही अपनी दावेदारी को सबसे मजबूत मान रहे हैं। जानकारी के अनुसार इन दोनों दिग्गजों के समर्थकों ने खड़गे को घेरने की तैयारी पहले ही कर रखी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के कद्दावर नेता तो हैं ही साथ ही वह गांधी परिवार के वफादार भी हैं। हालांकि खड़गे के लिए यह डगर आसान नहीं होगी। पार्टी के अंदर चर्चा है कि अगर खड़गे पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते हैं तो वह भी अपने पद को छोड़ेंगे फिर पार्टी अध्यक्ष बनेंगे। दूसरे अगर वह ऐसा नहीं करते तो राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के साथ ऐसा क्यों किया गया।
क्या ‘एक व्यक्ति-एक पद’ का सिद्धांत होगा लागू?
पार्टी के अंदर चर्चा हो रही है कि अशोक गहलोत को कहा गया था कि अगर वह अध्यक्ष पद का चुनाव जीतते हैं तो उन्हें राजस्थान के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। उनसे कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट का हवाला देकर यह बात कही गई थी। इसके लिए खुद खड़गे पर्यवेक्षक बनकर राजस्थान गए थे। ऐसे में अगर खड़गे खुद नामांकन दाखिल करना चाहते हैं तो उसी फॉर्मूले के तहत उनको भी क्या कैबिनेट मंत्री के दर्जे वाले राज्यसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष के पद को छोड़ना होगा? हालांकि इस सवाल का जवाब खड़गे पहले देंगे या बाद में फिलहाल कांग्रेस के कई नेता खड़गे की दावेदारी को भी बहुत मजबूती से देख रहे हैं।
गहलोत के साथ षडयंत्र!
पार्टी के अंदर चर्चा है कि अगर खड़गे राज्यसभा में नेताप्रतिपक्ष के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ते हैं और पार्टी के अध्यक्ष बनते हैं तो पद छोड़ने वाली बात का क्या मतलब समझा जाए। क्या गहलोत के साथ किसी तरह की साजिश हुई है? पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच यह बात हो रही है कि अलग-अलग नेताओं के लिए अलग-अलग नियम कैसे हो सकते हैं। हालांकि इन सभी सवालों पर पार्टी की ओर से किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं किया गया है।