English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-02-16 175356

 बिहार की राजनीति इन दिनों बनते बिगड़ते सियासी समीकरण के बीच संभावनाओं के द्वारा अभी खुले बताये जा रहे हैं।महागठबंधन में जारी अंतर्विरोध के साथ ही अटकलों का बाजार भी गर्म होता जा रहा है। कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार में एकबार फिर से सियासी करवट ले सकता है।

 

इसबीच नवनियुक्त राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का आना सत्ता की लड़ाई में एक नया केंद्र बनता दिख रहा है। सियासत में अब कौन सा नया दरवाजा खुलने वाला है? इसकी चर्चा सियासी गलियारे में तेज हो गई है। नए राज्यपाल के आने को लेकर यह कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार की सियासत में कोई नया खेल हो सकता है।

लोकसभा चुनाव के पहले क्या बिहार में राष्ट्रपति शासन लग सकता है या फिर नये समीकरण बनेंगे? जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा जिस तरह से तेजस्वी यादव के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है, उससे सियासी भूचाल आने की संभवना से इंकार नही किया जा सकता।

उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में राज्य में भयावह माहौल हो जाने की बात कहे जाने से जदयू के अंदर भी खलबली मच गई है। वहीं हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच जिस तरह से दूरियां दिख रही हैं, वह सरकार के भविष्य के लिए शुभ संकेत के तौर पर नही देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी दोनों एक दूसरे से असहमत दिख रहे हैं। ऐसे में नये राज्यपाल के आने के बाद कोई नया फार्मूला भी सामने आ सकता है। कारण कि राज्यपाल रहे फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश के बीच आपसी सामंजस्य अच्छी हो गई थी।

Also read:  Bihar Election Result: नीतीश कुमार बनेंगे सातवीं बार मुख्यमंत्री, जानिए कब-कब बने बिहार के सीएम

जानकारों का मानना है कि बिहार में अभी राजनीतिक रूप से भरी उथल पुथल का माहौल है और सरकार बदल भी सकती है। पार्टियां टूट सकती हैं। नए दावे पेश किए जा सकते हैं। ऐसे में निर्णय करना राज्यपाल पर निर्भर करेगा। शायद यही कारण है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ को राज्यपाल बनाकर भेजा है।

 बिहार की राजनीति इन दिनों बनते बिगड़ते सियासी समीकरण के बीच संभावनाओं के द्वारा अभी खुले बताये जा रहे हैं।

Also read:  राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर कर्नाटक जाएंगे, कर्नाटक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे, कांग्रेस को करेंगे एकजुट

महागठबंधन में जारी अंतर्विरोध के साथ ही अटकलों का बाजार भी गर्म होता जा रहा है। कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार में एकबार फिर से सियासी करवट ले सकता है।

इसबीच नवनियुक्त राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का आना सत्ता की लड़ाई में एक नया केंद्र बनता दिख रहा है। सियासत में अब कौन सा नया दरवाजा खुलने वाला है? इसकी चर्चा सियासी गलियारे में तेज हो गई है। नए राज्यपाल के आने को लेकर यह कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार की सियासत में कोई नया खेल हो सकता है।

लोकसभा चुनाव के पहले क्या बिहार में राष्ट्रपति शासन लग सकता है या फिर नये समीकरण बनेंगे? जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा जिस तरह से तेजस्वी यादव के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है, उससे सियासी भूचाल आने की संभवना से इंकार नही किया जा सकता।

उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में राज्य में भयावह माहौल हो जाने की बात कहे जाने से जदयू के अंदर भी खलबली मच गई है। वहीं हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच जिस तरह से दूरियां दिख रही हैं, वह सरकार के भविष्य के लिए शुभ संकेत के तौर पर नही देखा जा रहा है।

Also read:  मानहानि मामले में 2 साल की सजा पा चुके केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सदस्यता खत्म, लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर उनकी सदस्या रद्द कर दी

मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी दोनों एक दूसरे से असहमत दिख रहे हैं। ऐसे में नये राज्यपाल के आने के बाद कोई नया फार्मूला भी सामने आ सकता है। कारण कि राज्यपाल रहे फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश के बीच आपसी सामंजस्य अच्छी हो गई थी। जानकारों का मानना है कि बिहार में अभी राजनीतिक रूप से भरी उथल पुथल का माहौल है और सरकार बदल भी सकती है। पार्टियां टूट सकती हैं। नए दावे पेश किए जा सकते हैं। ऐसे में निर्णय करना राज्यपाल पर निर्भर करेगा। शायद यही कारण है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ को राज्यपाल बनाकर भेजा है।