English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-06-16 102329

कर्नाटक कैबिनेट ने गुरुवार को राज्य में पिछली भाजपा सरकार की ओर से लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के फैसले की घोषणा की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार जुलाई में आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पेश करेगी।

कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर चर्चा की। हमने 2022 में उनके (भाजपा सरकार) की ओर से लाए गए परिवर्तनों को रद्द करने के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसे 3 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र के दौरान पेश किया जाएगा।

Also read:  विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर फिजी में आयोजित हो रहे हिंदी सम्मेलन में शिरकत

दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा में पास हुआ था बिल

बता दें कि धर्मांतरण विरोधी बिल का उद्देश्य ‘लालच’, ‘जबरदस्ती’, ‘जबरदस्ती’, ‘धोखाधड़ी के माध्यम’ से धर्मांतरण को रोकना था, जिसे दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा में पास किया गया था। सरकार ने तब निर्णय लिया था कि विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए अध्यादेश लाना है।

Also read:  र्नाटक चुनाव में कांग्रेस की सफलता के पीछे काम करने वाले चुनावी रणनीतिकार सुनील कानुगोलू को कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ सीएम सिद्दरमैया के मुख्य सलाहकार के रूप में नियुक्त

अध्यादेश को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 मई, 2022 को मंजूरी दे दी थी। तब इसे छह महीने के भीतर विधानसभा की ओर से अनुमोदित करने की आवश्यकता थी। विधेयक सितंबर में उस अध्यादेश को बदलने के लिए पेश किया गया था जो प्रभावी था और विधान परिषद की ओर से पारित किया गया था।

Also read:  प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर किया कटाक्ष, कहा- वे लोगों के सामने 'रोने' वाले देश के पहले प्रधानमंत्री

इस बिल का कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी कड़ा विरोध किया था। इस साल मई में साधारण बहुमत से राज्य की सत्ता में आई कांग्रेस ने अब धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की घोषणा की है।